
बचपन के दिन भी कितने खूबसूरत होते थे ना...
दोस्तो के साथ सारे दिन खेलना,बेवजह हंसना, रूठना - मनाना....
मुझे अभी भी वो पल याद है....जब रक्षाबंधन पर हम कटी हुई पतंगों के पीछे दूर दूर तक चले जाते थे,
मानो जैसे लगता था, उन पतंगों की तरह हम भी उड़ रहे है।
एक बात कहूं...दीवाली का तो हमें बेसब्री से इंतजार रहता था....आजकल के बच्चे तो सिर्फ सेल्फी लेने के लिए दीवाली मनाते है...और फेसबुक, इंस्टा पे साझा कर देते है
सोशिल साइट्स के डिजिटल प्यार में बच्चे इस कदर पागल है कि वो अपना बचपन जीना ही भूल गए है।
हमारे बचपन के दिन भी कितने अजीब थे, तब सिर्फ और सिर्फ खिलौने टूटा करते थे...आज कल तो छोटी छोटी बातों पर दिल टूट जाया करते है
अजीब सौदेबाज है ये वक्त भी... हमें बड़े होने का लालच देकर...हमारा बचपन छीन कर ले गया।
आज तो हंसने के लिए भी लोग पार्टियां करते है....हम तो बेवजह ही हंस लिया करते थे....बरसात के पानी में खेलना, ⛵नावे चलाना जैसे हमारी स्थाई आदत थी.....
अब नहीं बहती नावें⛵ बरसात के पानी में...अब तो बच्चों को मोबाइलों से प्यार और लड़कियों से इश्क जो हो गया है।।
सोनू घुणावत
Gav ko life bahut mast hoti hai, really me
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