Thursday, 10 September 2020

#Lateral Entry


हम सभी जानते है कि आईएएस, आईपीएस,आईएफएस की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग के द्वारा परीक्षा आयोजित की जाती है

जिस तरह देश को चलाने के लिए जनता सरकारों को चुनती है..ठीक उसी तरह UPSC परीक्षा व इन्टरव्यू के द्वारा IAS,IPS,IFS  को चुना जाता है।

लेकिन सही मायनों में शासन की सारी बागड़ोर नेताओ के हाथ में नहीं... अफसरों के हाथ में होती है...आप कह सकते हो कि सरकार और जनता के बीच की कड़ी होते है ये अफसर.....

में आपको बताना चाहता हूं कि 2019 में मोदी सरकार ने सुजीत कुमार बाजपई (मनोज बाजपई का भाई) को - वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्ति किया था, अम्बर दुबे को Civil Aviation ministry में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया था....

सरकार में ज्वाइंट सेक्रेटरी वह पद है जिस पर पहुंचने के लिए UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर IAS अफसर बन चुके लोगों को...ना जाने कितने साल लग जाते है ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर पहुंचने के लिए....बशर्ते वो सरकार के कामकाजों और उनकी नीतियों का विरोध ना करे तो..... 



ऐसा नहीं है कि Civil Services में lateral entry सिर्फ़ बीजेपी सरकार में हुई है बल्कि कांग्रेस के शासनकाल में पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, विख्यात अर्थशास्त्री व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी Lateral entry के द्वारा सीधे ही वित्त सचिव बना दिया गया था



लेकिन मोदी सरकार Lateral entry के माध्यम से सिर्फ अपने सगे संबंधियों को और नजदीकी लोगो को ही नियुक्त कर रही है....जिससे मोदी सरकार नीति और नीयत के सवालों के घेरे में आ गई है

क्योंकि मोदी सरकार ने जिन 9 लोगो को बिना UPSC की परीक्षा दिए ही सीधे ही नियुक्त किया है उनमें ज्यादातर वो लोग है जो चंदे के रूप में सरकार को भारी भरकम पैसा देते है...तो सवाल करना तो बनता है

आरक्षण के विरोध में लोग सड़को पर निकल कर विरोध करते है...कहते है कि उनकी नोकरी आरक्षण की वजह से नहीं लगी....

आख़िरकार लोग सरकार की इन गलत नीतियों का विरोध क्यों नहीं करते....आपके विरोध ना करने के दो ही कारण हो सकते है...या तो आप मनुवादी हो या मोदी भक्त हो....

में, कोई बीजेपी विरोधी या किसी पार्टी का सपोर्टर नहीं हूं...सरकार किसी भी पार्टी की हो, हमें सरकार से सवाल पूछना चाहिए, उनकी गलत नीतियों का विरोध करना चाहिए

कोई भी सरकार तब तक अच्छी नहीं हो सकती, जब तक कि उसे एक अच्छा विपक्षी दल नहीं मिले,

आख़रकार सवाल ये है कि जो बच्चे सालों साल तक IAS,IPS बनने का सपना लिए हुए जी तोड़ मेहनत करते है लेकिन जब सरकार Lateral entry के माध्यम से सीधे ही किसी को IAS, IPS या उससे भी ऊंचे पद  पर नियुक्त कर देती है तो युवाओं का विरोध करना लाज़मी है

UPSC में भी 40 फीसदी सीटें कम कर दी गई हैं, इससे उसकी कोई  स्‍वतंत्रता और स्‍वायत्‍तता नहीं रह जाएगी,  इस प्रक्रिया से UPSC एक असहाय संस्‍था बन जाएगी और आरक्षण व्‍यवस्‍था को भी नुकसान पहुंचेगा....

Lateral Entry प्रक्रिया में भी आरक्षण का प्रावधान... संविधान की धारा 315 से 323 तक इसका जिक्र है. लेकिन मोदी सरकार ने जैसे संविधान को ना मानने का नियम बना लिया हो...

अपने अधिकारी नियुक्‍त करने के लिए.... (जो सिर्फ आपकी भक्ति करना जानते है) आप संविधान को क्‍यों बर्बाद कर रहे हैं... ज्‍वॉइंट सेक्रेटरी काफी अहम होते हैं और उन्‍हें आरक्षण से दूर रखने से आरक्षण की जो संवैधानिक भावना है वो नष्‍ट हो जाएगी...

आप सब जानते हो कि ज्‍वॉइट सेक्रेटरी केंद्र सरकार के कामकाज में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते है, वे नीति निर्माण के साथ ही योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने की जिम्‍मेदारी संभालते हैं।।

Sonu Ghunawat





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