आज जातिवाद अपनी चरम सीमा पर है, जिसमें अंधे होकर लोग मानवता के असली मायनों को ही भूल गए है।
आज सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर में जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है।
जो लोग भगवान को मानते है, वो कहते है कि कोई हिन्दू, कोई मुसलमान, कोई सिक्ख, कोई ईसाई नहीं है... ऊपरवाले ने तो सिर्फ और सिर्फ इन्सान बनाया था.....
गौर करने की बात है
हिमा दास और पिवी सिंधु दोनो
ही देश के लिए गोल्ड🏅 लेकर आई...देश का नाम रोशन किया,
मोदी जी ने हिमा को 50000 ₹. की राशि और पीवी सिंधु को 1000000 ₹ , सचिन तेंडुलकर ने BMW तोहफे में दी...दोगले मीडिया ने पीवी सिंधु को फ्रंट पेज पर और हिमा दास की चर्चा भी नहीं की, जानते हो क्यों...
क्योंकी पीवी सिंधु उच्च जाति से है और हिमा दास आदिवासी वर्ग से है, ना जानें कितनी ही प्रतिभाओं निखरने से पहले ही जातिवाद की भेंट चढ़ गई...
जातिवाद के पर्दे के पीछे प्रतिभाओं का गला घोंटने का गंदा खेल खेला जाता है।
वो कोण लोग है जिन्होंने हमें जातियों और धर्म की बेड़ियों का बंधक बना दिया।
पर आज मानो जैसे कोई इंसानियत की परिभाषा जानना ही नहीं चाहता...क्योंकि जातिवाद का कीड़ा पिछले सेकड़ो बरसों से उसके अंदर पनप रहा है...जो कभी उसे जाति से ऊपर देखने ही नहीं देता।
समय समय पर कुछ महान लोगों ने इस जातिवादी कीड़े को मिटाने की कोशिश की... मीरा ने रैदास जी को अपना गुरु बनाया
महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानन्द और बाद में डॉ भीम राव अंबेडकर ने जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए कही प्रयास किए....
आखिर जाति समाज से क्यों नहीं जाती......
सोनू घुणावत
Nice line
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