Sunday, 14 June 2020

#गांव, मानों तो जिंदगी

 हिन्दुस्तान का एक बड़ा हिस्सा आज भी गांवों में रहता है,



 लेकिन आज की कॉरपोरेट दुनिया, गांवों के रोजगार को मानो जैसे खा गई हो
लोग अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए शहरों को तरफ भागे जा रहे है,

इन्हीं रोजमर्रा की चीजों ने गांवों को, शहर जाने को मजबूर कर दिया है,
शहर जाने बाली रेलगाड़ियां लोगो से ठसा ठस्स भरी हुई दिखाई देती है।

लेकिन जब आज शहरों में  #महामारी, पर्यावरण प्रदूषण, तरह - तरह बीमारियां फैल रही है.... ऐसी परिस्थितियों में लोगो को गांव याद आने लगता है क्योंकि
इस दौर में भी गांव में जीवन और खुशहाली कायम है
गांवो की खुशबू ही अलग होती है...जिसकी महक से पशु, जनलोक और गलियों में एक अलग ही माहौल रहता है...

Sonu Ghunawat


Saturday, 13 June 2020

#सच्ची मोहब्बतें... एक कहानी मात्र





  • आज के दिन तुम मुझे मिले थी, तुम्हारे बताए बिना ही में तुम्हारी पसंद जान गया... ढेर सारे रेड रोजेज लेकर तुम्हे सरप्राइज कर दिया
शायद किस्मत भी यही चाहती थी की तुम्हारी पलको की छाय में, में अपनी पूरी जिंदगी बिता दू
आज पहली बार तुम मुझसे अपसेट हुई हो, तुम्हारी नाराजगी ने जैसे पूरी दुनिया को खामोश कर दिया…..ना
सूरज निकला, ना रोशनी हुई…तुम्हारी उदासी ने जैसे फूलों को मुरझा दिया हो…लेकिन फिर मैने तुम्हे मनाया, एक ये ही हंसी के लिए में कुछ भी कर सकता हूं।
तुम कहते तो शायद चांद को भी तुम्हारे क़दमों में ला देता।
आज होली है, मुझे होली का त्योहार कभी पसंद नहीं था, लेकिन इस बार कुछ लगा था, ऐसा लगने लगा था…..जैसे होली सबसे अच्छा फेस्टिवल है
शायद उसकी बजह तुम थी क्योंकि होली के हज़ारों रंगो की तरह, मेरी लाइफ में भी बहार बन कर आए
*तेरे बिना में कुछ भी नहीं*

#बचपन के पल


दोस्तों, 


बचपन के दिन भी कितने खूबसूरत होते थे ना...

दोस्तो के साथ सारे दिन खेलना,बेवजह हंसना, रूठना - मनाना....

मुझे अभी भी वो पल याद है....जब रक्षाबंधन पर हम कटी हुई पतंगों के पीछे दूर दूर तक चले जाते थे,
 मानो जैसे लगता था, उन पतंगों की  तरह हम भी उड़ रहे है।

एक बात कहूं...दीवाली का तो हमें बेसब्री से इंतजार रहता था....आजकल के बच्चे तो सिर्फ सेल्फी लेने के लिए दीवाली मनाते है...और फेसबुक, इंस्टा पे साझा कर देते है 

सोशिल साइट्स के डिजिटल प्यार में बच्चे इस कदर पागल है कि वो अपना बचपन जीना ही भूल गए है।


 हमारे बचपन  के दिन भी कितने अजीब थे, तब सिर्फ और सिर्फ खिलौने टूटा करते थे...आज कल तो छोटी छोटी बातों पर दिल टूट जाया करते है

अजीब सौदेबाज है ये वक्त भी... हमें बड़े होने का लालच देकर...हमारा बचपन छीन कर ले गया।

आज तो हंसने के लिए भी लोग पार्टियां करते है....हम तो बेवजह ही हंस लिया करते थे....बरसात के पानी में खेलना, ⛵नावे चलाना जैसे हमारी स्थाई आदत थी.....

अब नहीं बहती नावें⛵ बरसात के पानी में...अब तो बच्चों को मोबाइलों से प्यार और लड़कियों से इश्क जो हो गया है।।

सोनू घुणावत

#पसन्द और मोहब्बत



🌳पेड़ो कि दुनिया भी बहुत अजीब होती है ना🌳

चारो ओर हरियाली ही हरियाली🌳
मैने अपनी आधी उम्र पेड़ो🌳 के लिए समर्पित कर दी...

🌳पेड़ पौधों की दुनिया में रह कर देखा मैने...बहुत सुकून देता  है ये सब....🌳

इस  नकली मानव की नकली चकाचौंध से....हमेशा ही दूर रहा था में....

जैसे मेरी एक अलग ही दुनिया हो....जहां मेरे चाहने वाले ओर हरियाली हो.....🌳

मैने किसी को चाहा था... इन पेड़ो कि तरहा...
पर मेरा वो कभी नहीं हो सका....मालूम नहीं क्यो....

सायद इस लिए कि में उससे ज्यादा , पेड़ो को चाहने लगा था.....

पर ये पेड़, पोधे,पक्षी जिनके साथ में जिया हूं....इ
मुझे हमेशा अपनाया है.....🌳

चाहे में इनके लिए कुछ भी ना करू...पर मुझे यकीन है .....मेरे साए की तरह...ये भी मेरा कभी साथ नहीं छोड़ने वाले है

मेरे एक दोस्त को समर्पित....🌳🌳🌳